वाराणसी के घाटों की पूरी गाइड: दशाश्वमेध, अस्सी, मणिकर्णिका

वाराणसी की असली पहचान उसके घाटों में छुपी हुई है। जब भी कोई मुझसे बनारस के बारे में पूछता है, तो मैं यही कहता हूँ—अगर आपने यहाँ के घाट नहीं देखे, तो आपने कुछ नहीं देखा। इस शहर के घाट सिर्फ नदियों की सीढ़ियाँ नहीं हैं, ये संस्कृति, इतिहास और आध्यात्म की जीवंत कहानियाँ हैं।

मैंने वाराणसी में अपना काफी समय बिताया है, इसलिए आपके लिए एक सरल और उपयोगी गाइड बना रहा हूँ, जो आपकी यात्रा को आसान और यादगार बना देगा।

वाराणसी के घाट

दशाश्वमेध घाट: गंगा आरती का मुख्य केंद्र

अगर आप पहली बार वाराणसी आए हैं, तो मैं कहूँगा सबसे पहले दशाश्वमेध घाट जरूर जाइए। यहाँ की शाम की गंगा आरती का अनुभव अद्भुत है। मैं हर बार यहाँ जाकर महसूस करता हूँ कि जैसे पूरी दुनिया की ऊर्जा यहीं इकट्ठा हो गई है।

दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती - वाराणसी का मुख्य आकर्षण

अस्सी घाट: शांति और सुबह-ए-बनारस

जब मुझे थोड़ी शांति चाहिए होती है, मैं अस्सी घाट पहुँच जाता हूँ। यहाँ की सुबह की आरती और योग सत्र देखकर मन को एक अलग ही सुकून मिलता है। लोकल लोगों के साथ बातचीत करने का मौका भी यहाँ खूब मिलता है।

मणिकर्णिका घाट: जीवन-मृत्यु का पवित्र संगम

मणिकर्णिका घाट थोड़ा अलग है, लेकिन जीवन की वास्तविकता का अहसास यहीं मिलता है। यहाँ अंतिम संस्कार की आग को देखकर मुझे हर बार यही महसूस होता है कि जीवन क्षणभंगुर है, और इसे अच्छे से जीना चाहिए।

तुलसी घाट: सांस्कृतिक कार्यक्रम और विरासत

अगर आपको सांस्कृतिक कार्यक्रम देखने हैं, तो मैं तुलसी घाट जाने की सलाह दूँगा। यहाँ के संगीत और नृत्य कार्यक्रम आपको वाराणसी की समृद्ध विरासत से रूबरू करवाते हैं।

घाट यात्रा के लिए मेरे व्यावहारिक सुझाव

  • सुबह की सैर: सुबह-सुबह घाटों पर घूमने का अलग ही आनंद है। भीड़ कम होती है और सूर्योदय देखने लायक होता है।
  • बोटिंग: अगर घाटों का नज़ारा नदी से देखना चाहते हैं, तो एक नाव जरूर किराए पर लें।
  • फोटोग्राफी: घाटों पर फोटोग्राफी करना न भूलें, ये यादें जीवन भर साथ रहेंगी।

मेरा ये पर्सनल गाइड आपकी वाराणसी यात्रा को सरल और सुखद बनाने के लिए है। घाटों की यात्रा आपके दिल में एक अलग छाप छोड़ जाएगी।


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